RSS प्रमुख मोहन भागवत का ये बयान कहीं मोदी जी के लिए मैसेज तो नहीं? -
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RSS प्रमुख मोहन भागवत का ये बयान कहीं मोदी जी के लिए मैसेज तो नहीं?

लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट सामने आने के बाद से यह सवाल लगातार उठ रहा है कि क्या BJP और RSS में सबकुछ ठीक नहीं है? यह सवाल RSS प्रमुख मोहन भागवत के कुछ बयानों और RSS से जुड़ी पत्र‍िकाओं में छपी बातों से उठा। RSS संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को झारखंड के गुमला में जो कहा, उसे भी कई लोग PM मोदी से जोड़ कर देखने लगे। हालांक‍ि, भागवत ने अपने क‍िसी बयान में बीजेपी या मोदी का नाम नहीं ल‍िया है।

हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक ब्यान में कहा कि आत्म-विकास के क्रम में एक मनुष्य ‘सुपरमैन’, फिर ‘देवता’ और ‘भगवान’ बनना चाहता है और ‘विश्वरूप’ की आकांक्षा कर सकता है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि आगे क्या होगा।

RSS प्रमुख ने कहा, ” मानवीय गुणों को विकसित करने के बाद एक मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है, ‘सुपरमैन’ बनना चाहता है, लेकिन वह वहां रुकता नहीं है। इसके बाद उसे लगता है कि भगवान बनना चाहिए लेकिन भगवान कहते है कि हमसे तो बड़ा भगवान है और फिर वह भगवान बनना चाहता है. भगवान कहता है कि वह तो विश्वरूप है तो वह मनुष्य विश्वरूप बनना चाहता है। वहां भी कुछ है क्या रुकने की जगह, ये कोई नहीं जानता है, लेकिन विकास का कोई अंत नहीं है।”

झारखंड में गैर सरकारी संगठन विकास भारती द्वारा आयोजित बैठक में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “लोगों को कभी भी अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए और मानव जाति के कल्याण के लिए लगातार काम करना चाहिए क्योंकि विकास और मानव महत्वाकांक्षा की खोज का कोई अंत नहीं है।” आरएसएस प्रमुख ने सुझाव दिया कि व्यक्ति को मानवता की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि आंतरिक और बाहरी विकास का कोई अंत नहीं है और व्यक्ति को मानवता के लिए निरंतर काम करना चाहिए। RSS प्रमुख भागवत ने आगे कहा, “एक कार्यकर्ता को कभी भी अपने काम से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। काम जारी रहना चाहिए, पर्यावरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में लगातार काम करने का प्रयास करना चाहिए। इसका कोई अंत नहीं है और विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर काम करना ही एकमात्र समाधान है। हमें इस दुनिया को सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए जैसा कि भारत की प्रकृति है।”

RSS प्रमुख भागवत के बयान पर कांग्रेस ने तुरंत न‍िशाना साधा और जयराम रमेश ने इसे सीधे प्रधानमंत्री पर भागवत का न‍िशाना बताया।

4 जून, 2024 को आम चुनाव के नतीजे सामने आने के कुछ ही द‍िन बाद RSS प्रमुख ने कहा था कि एक सच्चे ‘सेवक’ में अहंकार नहीं होता और वह ‘गरिमा’ बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है। लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए RSS प्रमुख ने कहा था कि प्रचार के दौरान सदाचार बरकरार नहीं रखा गया।

तब भी RSS प्रमुख भागवत का यह बयान काफी चर्चा में रहा था और कहा गया था क‍ि RSS प्रमुख मोहन भागवत ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र मोदी या भाजपा पर निशाना साधा है।

 

चुनाव प्रचार में गरिमा का अभाव था- RSS प्रमुख
RSS प्रमुख भागवत ने कहा था, “हमारी परंपरा सहमति बनाने की है। इसलिए संसद में दो पक्ष हैं ताकि किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों पर विचार किया जा सके। लेकिन हमारी संस्कृति की गरिमा, हमारे मूल्यों को बनाए रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार में गरिमा का अभाव था। इसने माहौल को जहरीला बना दिया। तकनीक का इस्तेमाल झूठे प्रचार और झूठी कहानियां फैलाने के लिए किया गया। क्या यह हमारी संस्कृति है?”

RSS प्रमुख भागवत ने कहा था, “चुनाव आम सहमति बनाने की एक प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली मौजूद है कि किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व समान विचारधारा वाली संसद में हो। स्वाभाविक रूप से, ऐसी आम सहमति हासिल करना उन व्यक्तियों के बीच चुनौतीपूर्ण है जो तीव्र प्रतिस्पर्धा के माध्यम से वहां पहुंचे हैं इसलिए हम बहुमत पर भरोसा करते हैं। सारी प्रतियोगिता इसी उद्देश्य से है। हालांकि, यह एक प्रतियोगिता है, युद्ध नहीं।”

सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता- RSS प्रमुख
नागपुर में डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर में संगठन के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीया’ के समापन कार्यक्रम में RSS कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख भागवत ने कहा था, “एक सच्चा सेवक काम करते समय मर्यादा बनाए रखता है। जो मर्यादा बनाए रखता है वह अपना काम करता है , लेकिन अनासक्त रहता है। उसमें कोई अहंकार नहीं होता है कि मैंने ये किया। केवल ऐसे व्यक्ति को ही सेवक कहलाने का अधिकार है।”

मणिपुर पर भी किया था सरकार का घेराव
मणिपुर मुद्दे पर भी RSS प्रमुख भागवत ने कहा था, “मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। इस पर प्राथमिकता से चर्चा होनी चाहिए। पिछले 10 सालों से राज्य में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। वहां अचानक जो तनाव बढ़ गया या फिर भड़का दिया गया, उसकी आग में वह अब भी जल रहा है। उस पर कौन ध्यान देगा? इसे प्राथमिकता देना और इस पर ध्यान देना कर्तव्य है।”

‘समाज ने अपना मत दे दिया, उसके अनुसार सब होगा’
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के एक दिन बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, “अभी चुनाव संपन्न हुए, उसके परिणाम भी आए। सरकार भी बन गई, यह सब हो गया लेकिन उसकी चर्चा अभी तक चलती है। जो हुआ वह क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ। यह अपने देश तंत्र में प्रति पांच साल में होने वाली घटना है। समाज ने अपना मत दे दिया, उसके अनुसार सब होगा। क्यों, कैसे, इसमें हम लोग नहीं पड़ते। हम लोकमत परिष्कार का अपना कर्तव्य करते रहते हैं। हर चुनाव में करते हैं, इस बार भी किया है। बाकी क्या हुआ इस चर्चा में नहीं पड़ते।”

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