Cochlear Implant Surgery: बोलने-सुनने में असमर्थ बच्चों की सफल सर्जरी

चंडीगढ़। कॉकलियर इंप्लांट (Cochlear Implant Surgery) एक ऐसा डिवाइस है जिसके बाद जिन बच्चों को सुनाई नहीं देता उन्हें सुनाई देने लगता है। इसको लेकर पीजीआई के ईएनटी विभाग के हेड डा. नरेश पांडा ने प्रेसवार्ता कर बताया कि कॉकलियर इंप्लांट(Cochlear Implant Surgery) से बच्चों को नया जीवनदान मिलता है और उनको सुनाई देने लगता है जिन बच्चों को सुनाई नहीं देता। इसकी शुरूआत पीजीआई में 3 अप्रैल 2003 में हुई थी उस दौरान वह खुद डा. अनु नागर इसकी ट्रैनिंग के लिए गए थे और आज कॉकलियर इंप्लांट(Cochlear Implant Surgery) को 21 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस दौरान उनके साथ इस प्रेसवार्ता डा. संजय मुंजाल और डा. भानुमती भी मौजूद रहे।

 

डा. नरेश पांडा ने अपने अनुभवों से बताया कि वह पीजीआई में अब 600 से ज्यादा कॉकलियर इंप्लांट(Cochlear Implant Surgery) कर चुके हैं और पीजीआई के बाहर भी वह इसको लेकर गाइडेंस दे चुके हैं। जो पेरेंट्स अपने बच्चों के कॉकलियर इंप्लांट(Cochlear Implant Surgery) नहीं कर सकते अब सरकार भी उनकी मदद को आगे आई है और आने वाले समय में यह आयुष्मान भारत में भी कवर हो सकेगा। इंप्लांट में खर्च के बारे में बोलते हुए डा. नरेश पांडा ने कहा कि इस डिवाइस के प्राईज मारूति से लेकर मर्सिडिज तक हैं और यह इतने महंगे भी आते हैं और इंप्लांट के बाद थैरेपी बहुत जरूरी होती है। अकेले कोविड की ही बात करें तो वह 22 आपरेशन कर चुके हैं और शनिवार को इसको लेकर पीजीआई के भार्गव आडिटोरियम में एक कार्यक्रम करवा रहे हैं यह कार्यक्रम दोपहर तीन बजे से शाम छह बजे तक चलेगा जहां वह बच्चे भाग लेगें जिनका कॉकलियर इंप्लांट हो चुका है।

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