कुरुक्षेत्र : लक्ष्मी नारायण मंदिर में मिला महाभारत काल में बना प्राचीन कूआं, द्रौपदी ने धोए थे यहां खून से रंगे केश

कुरुक्षेत्र : पुराने इतिहास के दौरान शास्त्रों और ग्रथों में भी लिखा हुआ है की धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत का युद्ध के समय में 4 कूप बनाए थे । जिसका  वर्णन पवित्र ग्रंथ गीता में भी दिया गया है।  प्राचीन सिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में 100 फुट गहरा कूप मिला है । धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में महाभारत के हजारों साल बाद भी महायुद्ध की कई निशानिया  आज भी मौजूद है। कुरुक्षेत्र को विश्व प्रसिद्ध की भूमि के नाम से जाना जाता ह इस स्थान पर महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी और कर्ण ने अभिमन्यु को यही पर चक्रव्यूह में धोखे से फंसा कर मारा था !जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ था । कुरुक्षेत्र के स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया ।

 

लक्ष्मी नारायण मंदिर के पंडित हरि नारायण का कहना है कि काफी समय से सपने में मुझे खूब दिखाई दे रहा था जब इसके बारे में मैंने अपने महंत गुरु विजय राज गिरी जी को बताया तो उन्हें कहा कि यही पास में एक कूप है जो काफी समय से बताया जा रहा है इसी चीज को ध्यान में रखते हैं जब मैने सफाई करवाई तो उन्होंने एक कूप के दर्शन हुए जो की लोहरी ईंटों से बना हुआ है। जब इसके बारे में उन्होंने अपने गुरु महंत विजय राज गिरी जी को बताया तो उन्होंने कहा कि यह महाभारत के समय का यहां पर कूप है।

 

पुराने इतिहास के दौरान शास्त्रों और ग्रथों में भी लिखा हुआ है की धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत का युद्ध के समय में 4 कूप बनाए थे।  जिसका  वर्णन पवित्र ग्रंथ गीता में भी दिया गया है। एक कूप देवीकूप है जो धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में मां भद्रकाली मंदिर में विराजमान है। दूसरा को चंद्रकूप जोकि ब्रह्म स्वर के तट पर विराजमान है जहां पर द्रोपती ने अपने केश को स्नान करवाया था। तीसरा  रूद्र कूप है जोकि थानेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान है।
चौथा कूप विष्णु कूप है जो की लक्ष्मी नारायण मंदिर में आज दिखाई दिया है। चौथा कूप विष्णु कूप है जो की लक्ष्मी नारायण मंदिर में जो दिखाई दिया है।रामनवमी के दिन आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए से खोला जायेगा  और उस दिन बहुत ही श्रद्धालु यहां पर मंदिर में माथा टेके गए और भव्य कूप  के दर्शन करेगे ।

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